आज का युग वैज्ञानिक युग है। इस समय में प्रत्येक कार्य गणना के आधार पर ही होता है। हमारे दैनिक जीवन से लेकर प्रकृति के अंत तक सभी कार्य गणित का योगदान है। बालक जन्म के बाद जब ज्ञान प्राप्त करता है तो उसको सबसे पहले एक चांद, एक सूरज तथा एक प्रकृति के बारे में उसकी माता बताती है।
धीरे-धीरे वह प्रकृति के नजदीक जाता है, उसके रहस्यों को जानने का प्रयास करता है। उसमें उसको विज्ञान के पहले प्रारंभिक गणित का ज्ञान प्राप्त होता है। इसीलिए गणित को सभी विषयों का जनक माना जाता है। कोई भी विज्ञान, गणित के बिना अपूर्ण है। यह विज्ञानों की रानी है।इसीलिए बालक को गणित का ज्ञान प्राकृतिक विज्ञान के रूप में कराया जाता है। इसका क्षेत्र व्यापक की ही नहीं वरन असीम भी है। यह प्रकृति के जन्म से शुरू होता है तथा उसके अंत तक जाता है।
इसीलिए गणित की व्यापकता के बारे में यंग ने लिखा है कि “आज के लौह वाष्प और विद्युत के युग में गणित का क्षेत्र व्यापक है। यदि इस को संकुचित कर दिया गया तो हमारी या भौतिक सभ्यता नष्ट हो जाएगी।”
गणित सर्वत्र व्याप्त है इसके क्षेत्र का सीमांकन करना असंभव नहीं तो कठिन अवश्य है।