किसी भी राष्ट्र की शिक्षा को वहां के परिप्रेक्ष्य व संस्कृति से ही समझा जा सकता है। शिक्षा की प्रक्रिया में अध्यापक का स्थान महत्वपूर्ण होता है। अध्यापक की विद्यालय तथा शिक्षण प्रक्रिया की वास्तविक रूप से गत्यात्मक शक्ति है। अध्यापक ही समाज की रूढ़िवादी परंपराओं को शिक्षा के माध्यम से दूर करने की कोशिश करता है।
एक गणित के अध्यापक को विद्यालय की छवि को सुधारने व प्रतिष्ठा बनाने के लिए निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए।
1. अध्यापक को समय का पाबंद होना चाहिए, तभी वह विद्यार्थियों को भी समय पर बुला सकेगा और उन्हें समय की महत्ता सिखा सकेगा।
2. अध्यापक को बालक व बालिकाओं में आपसी सहयोग की भावना विकसित करनी चाहिए।3. पाठ्य सहगामी क्रियाओं खेलकूद आदि ने स्वयं भाग लेना तथा उसके लिए विद्यार्थियों को भी प्रेरित करना।
4. अध्यापक को विद्यार्थियों की व्यक्तिगत व सामाजिक समस्याओं के बारे में जानकारी रखनी चाहिए।
5. अध्यापक को समय सारणी के अनुसार कक्षा में पहुंच जाना चाहिए। इससे विद्यार्थी भी सक्रिय होते हैं।
6. अध्यापक को विद्यार्थियों के साथ प्रेम व सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करना चाहिए।
7. अध्यापक को विद्यालय में शिक्षण कार्य करते समय उचित शिक्षण विधियों का प्रयोग करना चाहिए।
एक गणित के अध्यापक को विद्यालय की छवि को सुधारने व प्रतिष्ठा बनाने के लिए निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए।
1. अध्यापक को समय का पाबंद होना चाहिए, तभी वह विद्यार्थियों को भी समय पर बुला सकेगा और उन्हें समय की महत्ता सिखा सकेगा।
2. अध्यापक को बालक व बालिकाओं में आपसी सहयोग की भावना विकसित करनी चाहिए।3. पाठ्य सहगामी क्रियाओं खेलकूद आदि ने स्वयं भाग लेना तथा उसके लिए विद्यार्थियों को भी प्रेरित करना।
4. अध्यापक को विद्यार्थियों की व्यक्तिगत व सामाजिक समस्याओं के बारे में जानकारी रखनी चाहिए।
5. अध्यापक को समय सारणी के अनुसार कक्षा में पहुंच जाना चाहिए। इससे विद्यार्थी भी सक्रिय होते हैं।
6. अध्यापक को विद्यार्थियों के साथ प्रेम व सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करना चाहिए।
7. अध्यापक को विद्यालय में शिक्षण कार्य करते समय उचित शिक्षण विधियों का प्रयोग करना चाहिए।