प्रयोगशाला में बालक स्वयं करके सीखने का प्रयास करता है जिससे उसका ज्ञान स्थाई हो जाता है। जबकि सैद्धांतिक ज्ञान केवल रखने पर बल देता है यह अस्थाई होता है। प्रयोगशाला का ज्ञान बालक में रुचि उत्पन्न करता है।
प्रयोगशाला का गणित के शिक्षण में बहुत महत्व है जो निम्न है:-
1. प्रयोगशाला में बालक स्वयं करके सीखते हैं जिससे उनका ज्ञान अधिक स्थाई हो जाता है।
2. इसके द्वारा बालक क्रियात्मक एवं व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त करते हैं।
3. प्रयोगशाला में कार्य करते समय छात्र गणित के अध्ययन में अधिक रूचि लेते हैं।
4. प्रयोगशाला के द्वारा छात्रों में रचनात्मक एवं अनुसंधान आत्मक दृष्टिकोण विकसित होता है।5. छात्र गणित का प्रयोग करने में आनंद की अनुभूति करते हैं क्योंकि प्रयोग करने से उनकी जिज्ञासाओं की संतुष्ट होती है।
6. छात्रों के विभिन्न प्रकार की लड़की को सुविधाओं का विकास होता है, जैसे आकृति, चित्र, मॉडल बनाने की कुशलता, माप तोल की कुशलता आदि।
7. छात्रों में आगमनात्मक चिंतन का विकास होता है।
8. छात्रों में आत्मविश्वास, आत्मनिर्भरता, परिश्रम तथा प्रयोग करने की योग्यता का विकास होता है।
9. छात्रों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित होता है।