पर्यावरण अध्ययन – Environmental Education प्रश्न पत्र अनिवार्य रूप से स्नातक विद्यार्थियों को पास करना होता है। यहां पर्यावरण शिक्षा प्रश्न पत्र के पाठ्यक्रम, मॉडल प्रश्न पत्र, प्रैक्टिस पेपर, महत्वपूर्ण प्रश्न दिए गए हैं। सर्वप्रथम विद्यार्थी पाठ्यक्रम के अनुसार पढ़ाई करें, फिर कुछ मॉडल पेपर्स को हल करें।
पर्यावरण अध्ययन अपने आप में अलग से कोई विषय नहीं है। इसके अन्तर्गत विभिन्न विषयों – विज्ञान, सामाजिक अध्ययन, इतिहास एवं भूगोल आदि की अवधारणाओं का उपयोग करते हुए प्राथमिक कक्षाओं में इनकी आधारभूमि तैयार की जाती है। पर्यावरण अध्ययन हमें यह सीखने के बारे में है कि हमें कैसे जीना चाहिए और हम पर्यावरण की रक्षा के लिए स्थायी रणनीति कैसे विकसित कर सकते हैं। यह व्यक्तियों को रहने और भौतिक पर्यावरण की समझ विकसित करने और प्रकृति को प्रभावित करने वाले चुनौतीपूर्ण पर्यावरणीय मुद्दों को हल करने में मदद करता है।
पर्यावरण अध्ययन Syllabus
1. पर्यावरण अध्ययन की बहुआयामी प्रकृति
परिभाषा, उपयोगिता एवं महत्व जन-जागरण की आवश्यकता
2. प्राकृतिक संसाधन
पुनर्नविनीकृत हो सकने वाले व न हो सकने वाले प्राकृतिक संसाधन प्राकृतिक संसाधन एवं उनसे जुड़ी समस्यायें-
- वन संसाधन : प्रयोग एवं अत्यधिक शोषण, निर्वनीकरण, निर्वनीकरण से जुड़ी घटनाओं का अध्ययन, इमारती लकड़ी, खनन, बाँध और वन वनवासियों पर इनका प्रभाव ।
- जल संसाधन : सतही एवं भूगर्भ जल का प्रयोग एवं अत्यधिक शोषण, बाढ़, सूखा, जल के प्रयोग एवं अधिकार सम्बन्धी विवाद, बाँध-लाभ एवं समस्यायें ।
- खनिज संसाधन : प्रयोग एवं शोषण, खनिज निस्सारण एवं प्रयोग के पर्यावरणीय प्रभाव, सम्बन्धित घटनाओं का अध्ययन
- खाद्य संसाधन : वैश्विक खाद्य समस्या, कृषि एवं पशुओं द्वारा अधिक चराई के कारण होने वाले परिवर्तन, कृषि की नई विधियों के प्रभाव, खाद- कीटनाशकों की पर्यावरणीय समस्यायों, वाटर लागिंग, लवणता सम्बन्धी घटनाओं का अध्ययन।
- ऊर्जा संसाधन : ऊर्जा की बढ़ती आवश्यकतायें, पुनर्नवीनीकरण हो सकने वाले तथा पुनर्नवीनीकरण न हो सकने वाले ऊर्जा-श्रोत, वैकल्पिक ऊर्जा श्रोतों का प्रयोग सम्बन्धित घटनाओं का अध्ययन ।
- भूमि-संसाधन : भूमि संसाधन के रूप में भू-क्षरण, मानव जनित भू-स्खलन मृदा अपरदन एवं मरूस्थलीकरण ।
- प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में आम व्यक्ति का योगदान।
- समग्र जीवन शैली के लिए प्राकृतिक संसाधनों का समान उपयोग।
3. पारिस्थतिकी
- पारिस्थितिकी तन्त्र – परिभाषा
- पारिस्थितिकी तन्त्र की संरचना एवं क्रियायें
- उत्पादक, उपभोक्ता एवं अपघटक
- पारिस्थितिकी तन्त्र में ऊर्जा प्रवाह
- पारिस्थितिकीय आवर्तन (इकोसिस्टम सक्सेसन)
- खाद्य श्रृंखला, खाद्य – जाल, पारिस्थितिकीय पिरामिड
- निम्नलिखित की भूमिका, प्रकार, प्रमुख गुण, संरचना एवं क्रियाएँ:
- वनों का पारिस्थितिकी तन्त्र
- चारागाह का पारिस्थितिकी तन्त्र
- मरूस्थलीय पारिस्थितिकी तन्त्र
- जलीय पारिस्थितिकी तन्त्र ( तालाब, धारा, झील, नदी, समुद्र, इश्चुरी)
4. जैव विविधता एवं इसका संरक्षण
- परिभाषा (अनुवांशिक, प्रजातियों तथा पारिस्थतिकी तन्त्र में विविधता)
- भारत का जैव भौगोलिक वर्गीकरण जैव-विविधता का महत्व : पोषणक्षम उपयोग (कन्जम्प्टिव यूज), उत्पादनक्षम प्रयोग (प्रोडक्टिव यूज), सामाजिक, नैतिक, सौन्दर्यक तथा रूचि सम्बन्धी महत्व।
- वैश्विक, राष्ट्रीय व स्थानीय स्तर पर जैव-विविधता।
- जैव विविधता के हॉट-स्पॉट।
- जैव विविधता को खतरे : आवस-क्षय (हैबिटेट लॉस), वन्य जीवों का शिकार, मानव-वन्य जीव विवाद।
- भारत की संकटापन्न व परम्परागत प्रमुख प्रजातियाँ
- जैव विविधता संरक्षण: इन सीटू व एक्स-सीटू विधियाँ।
5. पर्यावरणीय प्रदूषण
- परिभाषा
- निम्न के कारण, प्रभाव एवं रोकथाम के उपाय:
- वायु प्रदूषण
- जल प्रदूषण
- मृदा प्रदूषण
- समुद्री प्रदूषण
- ध्वनि-प्रदूषण
- तापीय प्रदूषण
- परमाणवीय खतरे
- ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन शहरी एवं औद्योगिक अपशिष्टों की उत्पत्ति के कारण, प्रभाव व रोकथाम के उपाय।
- प्रदूषण के रोकथाम में आम व्यक्ति की भूमिका ।
- प्रदूषण सम्बन्धी प्रमुख घटनायें –
- आपदा प्रबन्धनः बाढ़, भूकम्प, चक्रवात एवं भू-स्खलन
6. पर्यावरण अध्ययन के सामाजिक मुद्दे
- अस्थाई (अनसस्टेनेबल) विकास से स्थाई (सस्टेनेबल) विकास की ओर।
- शहरी क्षेत्रों में ऊर्जा सम्बन्धी समस्यायें ।
- जल संरक्षण, वर्षा जल संग्रह, जल संग्रह क्षेत्र प्रबन्धन (वाटर शेड मैनेजमेंट)
- विकास की योजनाओं के कारण हुए विस्थापितों का पुनर्वास, पुनर्वास की समस्यायें व उनसे जुड़ी चिन्तायें। प्रमुख घटनायें।
- पर्यावरणीय नैतिकताः मुद्दे व सम्भावित निराकरण ।
- जलवायु परिवर्तन, धरती के तापमान में वृद्धि (ग्लोबल वार्मिंग), अम्ल वर्षा, ओजोन परत क्षरण, परमाणीय दुर्घटनायें व होलोकास्ट, प्रमुख घटनायें।
- परती भूमि सुधार
- उपभोक्तावाद व अपशिष्टों का उत्पादन
- पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम पर्यावरणीय कानून के देश में लागू होने सम्बन्धी मुद्दे।
- वायु (प्रदूषण, बचाव व रोकथाम) अधिनियम
- जल (प्रदूषण, बचाव व रोकथाम) अधिनियम
- वन (संरक्षण) अधिनियम
- वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम
- जन जागरूकता
7. मानव जनसंख्या व पर्यावरण अध्ययन
- जनसंख्या वृद्धि, विभिन्न देशों के बीच असमानतायें।
- एच0आई0वी0 / एड्स
- जनसंख्या विस्फोट-परिवार कल्याण कार्यक्रम।
- नारी व शिशु कल्याण
- पर्यावरण व मानव स्वास्थ्य ।
- पर्यावरण व मानव स्वास्थ्य में सूचना प्रौद्योगिकी की भूमिका ।
- मानवाधिकार
- महत्वपूर्ण घटनायें।
- मूल्य आधारित शिक्षा (वैल्यू एजुकेशन)
8. क्षेत्र अध्ययन
- नदी / वन / चारागाह / पर्वत/ पहाड़ी के पर्यावरणीय संसाधनों व महत्वों को देखकर लिपिबद्ध करना
- प्रदूषित क्षेत्रों- ( शहरी/ग्रामीण / औद्योगिक / कृषि सम्बन्धी ) का भ्रमण।
- क्षेत्र विशेष के सामान्य पौधों, कीटों व चिड़ियों का अध्ययन
- सामान्य पारिस्थितिकी तन्त्र के रूप में तालाब, नदी, पर्वतीय ढलानों आदि का अध्ययन ।
पर्यावरण अध्ययन माडल प्रश्नपत्र

प्रश्नो की संख्या | 100 |
निर्धारित समय | 30 मिनट |
पास होने के लिए आवश्यक अंक | 35% |
Leaderboard: पर्यावरण
Pos. | Name | Entered on | Points | Result |
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Table is loading |
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पर्यावरण प्रश्न पत्र | Click here |
पर्यावरण अध्ययन
पर्यावरण उस परिवेश को कहते हैं जो जीवमंडल के चारों ओर से घेरे हुए होते हैं। पर्यावरण शिक्षा में प्राकृतिक संसाधनों का अध्ययन किया जाता है। पर्यावरण एक बहुआयामी विषय है। आज भारत ही नहीं सम्पूर्ण विश्व में पर्यावरण अध्ययन की आवश्यकता महसूस की जा रही है। हमारा देश भी इस क्षेत्र में अग्रणी है इसके सार्वभौमिक महतव को देखते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने स्नातक स्तर पर इस पाठ्यक्रम को अनिवार्य कर दिया है। यह छात्रों के ‘पर्यावरण अध्ययन’ पाठ्यक्रम की आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए सक्षम है। विद्यार्थी पर्यावरण को अनिवार्य रूप से समझें इसके लिए नई शिक्षा नीति 2020 के तहत पर्यावरण को पाठ्यक्रम में निम्न उद्देश्य से जोड़ा गया है-
- सामाजिक भावनाओं का विकास
- वायु प्रदूषण की समस्याओं से परिचित कराना
- जल प्रदूषण की समस्या
- सामाजिक समस्याओं का ज्ञान तथा समाधान
- ध्वनि प्रदूषण की समस्याओं से परिचित कराना
- जनसंख्या वृद्धि को रोकना
- पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित करना
- राष्ट्रीय धरोहर के प्रति निष्ठा
- वन्य जीवों का संरक्षण
- जनतांत्रिक कुशलता का विकास
पर्यावरण शिक्षा अधिगम की वह प्रक्रिया है जो पर्यावरण से जुड़ी चुनौतियों से जुड़ी जानकारी एवं जागरूकता को बढ़ाती हैं। और उसका सामना करने के लिए आवश्यक कुशलताओं को विकसित करती है।

पर्यावरण शिक्षा का प्रमुख प्रयोजन नागरिकों के अपने उत्तरदायित्वों में पर्यावरण की सुरक्षा एवं प्रबंधन के बारे में जागृति पैदा करना और उसे बढ़ाना है।
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पर्यावरण अध्ययन बच्चों को यह समझ प्रदान करता है कि हम किस प्रकार से अपने भौतिक, जैविक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक पर्यावरण के साथ पारस्परिक क्रियाकलाप करते हैं तथा उसके द्वारा प्रभावित होते हैं। पर्यावरण अध्ययन का मुख्य लक्ष्य की बच्चों को इस योग्य बनाना ताकि वह पर्यावरण से संबंधित सभी मुद्दों को जानने समझने और संबंधित समस्याओं को हल करने में सक्षम हो सके।
इसी के साथ बच्चों में दूसरों के दृष्टिकोण एवं विश्वासों के प्रति भावनाओं का विकास होता है। विचारों, अनुभवों लोगो, भोजन, भाषा, पर्यावरण तथा सबसे अधिक सामाजिक-सांस्कृतिक रिवाजों एवं आस्थाओं की कदर करना सीखते हैं।

पर्यावरण शिक्षा के कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
World Environment Day 2022 5 जून को हर साल दुनियाभर में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। साल 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने प्रदूषण की समस्या और चिंता की वजह से इस दिन को मनाने की नींव रखी। मनुष्य एवं अन्य जीव अपनी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए पर्यावरण पर ही आश्रित होते हैं। शुद्ध हवा, शुद्ध पानी तथा शुद्ध भोजन आदि के लिए पर्यावरण महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस तरह इन सभी बातों के महत्व को समझने और संरक्षण की सोच विकसित करने हेतु पर्यावरण शिक्षा अत्यंत आवश्यक है।
पृथ्वी दिवस कब मनाया जाता है?
22 अप्रैल
विश्व पर्यावरण दिवस कब मनाया जाता है?
5 जून
जैव विविधता दिवस कब मनाया जाता है?
22 मई
भारत का सर्वाधिक वनाच्छादित प्रदेश है?
मध्य प्रदेश
दाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान कहां स्थित है?
जम्मू काश्मीर में
Paryavaran
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