
पाठ योजना
पाठ योजना का तात्पर्य किसी पाठ को विशिष्ट उद्देश्य एवं अपेक्षित व्यवहारी परिवर्तनों की प्राप्ति के संदर्भ में आकर्षक ढंग से नियोजित करने से है। यह कक्षा शिक्षण की पूर्व क्रियात्मक अवस्था कहलाती है। दैनिक पाठ योजना प्रभावी शिक्षण उपकरण के रूप में प्रयोग की जाती है।
शिक्षण प्रक्रिया के दौरान पाठ योजना छात्रों की अपेक्षा अध्यापक के कार्यों पर अधिक बल देती है। संपूर्ण पाठ योजना में अध्यापक ही केंद्र बिंदु के रूप में कार्य करता है। पाठ योजना एक ब्लूप्रिंट नहीं है। यह मात्र अध्यापक को निर्देश देने, शिक्षण संबंधी विभिन्न क्रियाओं में तारतम्य स्थापित कराने, महत्वपूर्ण शिक्षण बिंदुओं का ज्ञान कराने, प्रभावी शिक्षण विधि के चुनाव कराने आदि के सहायतार्थ साधन मात्र है।

पाठ योजना
वस्तुतः पाठ योजना अध्यापक के उन कार्यों का समूह है, जिसे उसे कक्षा में क्रियान्वित करना होता है। एक आकर्षक सफल एवं प्रभावी शिक्षक के लिए पाठ योजना का निर्माण अत्यंत आवश्यक है। एक कुशल कारीगर की तरह अध्यापक को भी अपने छात्रों में वांछित सुधार लाने के लिए अपने उपकरणों का चयन बड़ी सावधानी से करना पड़ता है।
दूसरे शब्दों में, पाठ योजना अध्यापक के लिए एक खिड़की का काम करती है जिसमें से झांक कर वह अपने छात्रों की अंतर्निहित विशेषताओं एवं क्षमताओं को पहचानने का प्रयास करता है इसीलिए किसी ने सही लिखा है कि
Lesson plan is teacher’9s mental and emotional visualisation of classroom activities.
पाठ योजना की आवश्यकता
- पाठ योजना कक्षा में उचित शैक्षिक वातावरण बनाने एवं प्रभावी शिक्षण के लिए अनिवार्य है।
- पाठ पाठ योजना शिक्षण के कार्य को नियमित एवं संगठित बनाती है।
- पाठ योजना के द्वारा पाठ्यवस्तु का संगठन भली प्रकार हो जाता है।
- पाठ योजना प्रतिदिन के कार्य को स्पष्ट दिशा निर्देश देती है।
- अध्यापक आत्मविश्वास के साथ कक्षा में अप्रत्याशित स्थितियों का सामना करता है।
- पाठ योजना अध्यापक के लिए पथ प्रदर्शक एवं मित्र का कार्य करती है।
- भूलने के सहयोग में कमी लाने की दृष्टि से भी पाठ योजना का महत्व है।
- पाठ योजना के माध्यम से अध्यापक उचित सोपान एवं समय पर सहायक सामग्री का उपयोग करता है।
- छात्रों को उनके मानसिक स्तर के अनुकूल गृह कार्य देने की व्यवस्था रहती है।
- छात्रों की दृष्टि से सबसे सुविधाजनक विधि के चयन में अध्यापक को सहायता मिलती है।

पाठ योजना के विभिन्न सोपान
जे• एस• हरबर्ट ने पाठ योजना के पांच मुख्य सोपान बताए हैं, यह पद निम्न है-
- तैयारी प्रस्तुतीकरण तुलना सामान्यीकरणअनुप्रयोग
- पुनरावृति
आदर्श पाठ योजना
- पाठ पाठ योजना लक्ष्य शिक्षण विधियों पर विधियों सहायक सामग्री आदि की दृष्टि से विस्तृत होना चाहिए।
- पाठ योजना की भाषा सरल एवं आकर्षक होनी चाहिए।
- पाठ योजना संबंधित सामान्य एवं विशिष्ट उद्देश्य स्पष्ट रूप से लिखे जाने चाहिए।
- कक्षा के सामान्य अनुशासन के प्रति भी अध्यापक को सजग रहना चाहिए।
- छात्रोंछात्रों की जिज्ञासा बढ़ाने के लिए अच्छी पाठ योजना का आधार पूर्व ज्ञान को ही बनाया जाना चाहिए।
- अच्छी पाठ योजना छात्रों के सक्रिय सहयोग पर आधारित होनी चाहिए।
- प्रश्नोत्तर प्रणाली प्रभावी होनी चाहिए।
- मूल्यांकन की सुविधा की दृष्टि से एक अच्छी पाठ योजना को अध्यापक के इस कार्य में सहायक होना चाहिए।
पाठ योजना की सीमाएं
- छात्रों में जिज्ञासा उत्पन्न करने की दृष्टि से प्रश्नों का कम प्रभावपूर्ण रहना।
- उपयुक्त सहायक सामग्री के प्रयोग का अभाव एवं प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत ना कर पाना।
- विशिष्ट उद्देश्यों की प्राप्ति में असफलता।
- महत्वपूर्ण शिक्षण बिंदुओं को ठीक से न पहचान पाना।
- श्यामपट्ट कार्य का संतोषजनक होना।
- विभिन्न प्रकरणों में सहसंबंध का अभाव।
- छात्रों की रुचियों, आयु, योग्यता, क्षमताओं, आवश्यकताओं की उपेक्षा करना।
- पाठ पाठ योजना का व्यापक ना होना।
- गृह कार्य की उपयुक्तता का अभाव।
- पाठ योजना विकास में छात्रों का सक्रिय सहयोग प्रदान ना करना।
- सर्वोत्तम सर्वोत्तम शिक्षण विधि के चयन की समस्या।