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प्रौढ़ शिक्षा की उपयोगिता व्यक्ति व समाज दोनों के लिए है। इसलिए प्रौढ़ शिक्षा के उद्देश्यों को दो भागों व्यक्तिगत उद्देश्य तथा सामाजिक उद्देश्यों में बांटा जा सकता है।
प्रौढ़ शिक्षा के उद्देश्य

प्रौढ़ शिक्षा के व्यक्तिगत उद्देश्य
व्यक्ति की व्यक्तिगत आवश्यकताओं का कर्तव्य पालन की दृष्टि से प्रौढ़ शिक्षा अत्यंत उपयोगी सिद्ध होती है। प्रौढ़ शिक्षा के प्रमुख व्यक्तिगत उद्देश्य निम्नवत लिखे जा सकते है –
- शिक्षा के द्वारा प्रौढ़ो का बौद्धिक विकास करना
- कृषि, शिल्प तथा घरेलू उद्योग-धंधों इत्यादि का प्रशिक्षण देकर प्रौढ़ो की व्यवसायिक क्षमता का विकास करना।
- स्वास्थ्य, शिक्षा, प्रमुख रोगों के उपचार पद्धति तथा संतुलित आहार का ज्ञान देकर प्रौढ़ो के शारीरिक विकास को ठीक रखना।
- प्रौढ़ो को सामुदायिक जीवन की कला से अवगत करा कर उनका सामाजिक विकास करना।
- प्रौढ़ो को नृत्य, संगीत, गीत, लोकगीत आदि सांस्कृतिक क्रियाओं का ज्ञान देकर उनका सांस्कृतिक विकास करना।
प्रौढ़ शिक्षा अर्थ | प्रौढ़ शिक्षा की आवश्यकता |
प्रौढ़ शिक्षा की समस्याएं | प्रौढ़ शिक्षा के उद्देश्य |
प्रौढ़ शिक्षा का क्षेत्र |
प्रौढ़ शिक्षा के सामाजिक उद्देश्य
प्रौढ़ शिक्षा सामाजिक दृष्टिकोण अथवा सामाजिक आवश्यकता की दृष्टि से अत्यंत आवश्यक महत्वपूर्ण व अपरिहार्य कही जा सकती है। प्रौढ़ शिक्षा के मुख्य सामाजिक उद्देश्य निम्न है –
- विभिन्न व्यक्तियों तथा समुदायों के बीच बढ़ती अलगाववादी भावना को समाप्त करना तथा एक राष्ट्रीय एकता व संस्कृति का निर्माण करना।
- प्रकृति द्वारा प्रदत्त उपहारों व साधनों की सुरक्षा करना, सदुपयोगकरना तथा उनको विकसित करना।
- सहकारी तथा सामाजिक संस्थाओं का संगठन तथा संचालन करना।
- समाजहित या राष्ट्रहित के सामने व्यक्तिगत हितों को कुर्बान कर देने की भावना का विकास करना।