भारत में निर्धनता के कारण निम्न है-
- अशिक्षा – भारत में सन 2001 की जनगणना के अनुसार अब तक जनसंख्या का केवल 65.38% भाग ही साक्षर है, इस प्रतिशत में व्यक्ति भी सम्मिलित है जो मामूली रूप से लिख पढ़ सकते हैं।
- उद्योगों की कमी – भारत में आदमी प्रमुख उद्योग शहरी क्षेत्रों तक ही सीमित है। ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योगों का उचित विकास नहीं हुआ है, जिस कारणवश वहां पर बेरोजगारी में वृद्धि होती है। जो निर्धनता का प्रधान कारण है।
- सामाजिक कारण – देश में गरीबी के लिए जाति प्रथा, संयुक्त परिवार प्रथा, उत्तराधिकार के नियम, शिक्षा व मानव कल्याण के प्रति उदासीनता आज के अनेक कारण हैं, जो गरीबों को और गरीब बना रहे हैं। आप निर्धनता के कारण Sarkari Focus पर पढ़ रहे हैं।
- प्रौद्योगिकी का निम्न स्तर – कृषि तथा विनिर्माण क्षेत्र में परंपरागत उत्पादन तकनीकों ने प्रति व्यक्ति उत्पादकता के स्तर को नीचा बनाए रखा है, जिसके कारण गरीबी और अधिक गहन हुई है।
- श्रम की मांग और पूर्ति में असंतुलन – जब श्रमिकों की मांग कम होती है और उनकी पूर्ति बढ़ जाती है। तो समस्त श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध नहीं हो पाता और इस कारण बेरोजगारी मे वृद्धि होती है।
- जनसंख्या में तीव्र वृद्धि – भारत की जनसंख्या में तीव्र वृद्धि हुई है जिससे गरीबी एवं बेरोजगारी की समस्या की गंभीरता और बढ़ गई है। 2.5% वार्षिक वृद्धि की दर से जनसंख्या का बढ़ना ग्रामीण श्रम पूर्ति की तीव्रता में वृद्धि करता है। श्रमिकों की संख्या में जो तीव्रता से वृद्धि हो रही है, उसके अनुरूप रोजगार सुविधाएं नहीं बढ़ पाती हैं।

- प्राकृतिक प्रकोप – हमारी अर्थव्यवस्था प्रकृति पर बहुत अधिक निर्भर है। प्राकृतिक प्रकोपो का सामना करने के पर्याप्त साधनों का ना होना भी हमारी निर्धनता का एक प्रमुख कारण है।
- तकनीकी प्रशिक्षण – रोजगार सुविधाओं को व्यापक रूप से उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक है कि तकनीकी प्रशिक्षण का कार्यक्रम अपनाया जाए।
- ग्रामीण ऋणग्रस्तता – आय में कमी होने के कारण भारतीय कृषक दैनिक जीवन का दृढ़ लेकर व्यतीत करता है।
- आर्थिक कारण – निर्धनता का संबंध आर्थिक पहलुओं से भी है, आर्थिक दशा का वर्णन आय और व्यय के संबंध में किया जाता है। अपर्याप्त उत्पादन असमान वितरण आर्थिक उच्च वचन निर्धनता एवं बेरोजगारी आदि को जन्म देता है। भारत में उत्पादन के लिए परंपरागत साधनों का प्रयोग किया जाता है जिसके कारण यहां पर्याप्त उत्पादन नहीं हो पाता है।
भारत में निर्धनता के कारण
इस स्थिति में अपनी जीविका चलाने के लिए आवश्यक वस्तुओं को एकत्र करना भी मुश्किल हो जाता है। आवश्यक वस्तुओं के अभाव में निर्धनता का सामना करना पड़ता है। उत्पादन के ठीक होने किंतु उसका वितरण असमान होने पर भी निर्धनता का जन्म होता है। उत्पादन के साधनों पर कुछ लोगों का एकाधिकार होने पर अधिकांश तालाब वही ले जाते हैं। इस प्रकार आय की असमानता विद्यमान रहती है।
अतः लोगों में निर्धनता भी विद्यमान रहती है। संपत्ति एवं आयु का असमान वितरण व्यापारिक मंदिर तथा बेरोजगारी की अवस्था भी निर्धनता उत्पन्न करती। व्यापार में मंदी की स्थिति में अनेक लोग दिवालिया हो जाते हैं और उनकी जमा पूंजी खर्च हो जाती है। बेरोजगारी की अवस्था में भी व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करने में असमर्थ हो जाता है फल स्वरुप उसकी कार्य क्षमता घट जाती है इस प्रकार निर्धनता उत्पन्न हो जाती है।
1. | निर्धनता | निर्धनता का अर्थ एवं परिभाषा भारत में निर्धनता के कारण निर्धनता का सामाजिक प्रभाव |
2. | जातीय विषमता | जाति अर्थ परिभाषा लक्षण |
3. | लैंगिक विषमता | लैंगिक असमानता के कारण व क्षेत्र |
4. | धार्मिक व क्षेत्रीय समस्याएं | धर्म परिभाषा लक्षण धर्म में आधुनिक प्रवृत्तियां धार्मिक असामंजस्यता भारतीय समाज में धर्म की भूमिका |
5. | अल्पसंख्यक | अल्पसंख्यक अर्थ प्रकार समस्याएं अल्पसंख्यक कल्याण कार्यक्रम |
6. | पिछड़ा वर्ग | पिछड़ा वर्ग समस्या समाधान सुझाव |
7. | दलित | दलित समस्या समाधान |
8. | मानवाधिकार का उल्लंघन | मानवाधिकार मानवाधिकार आयोग |
9. | दहेज प्रथा | दहेज प्रथा |
10. | घरेलू हिंसा | घरेलू हिंसा |
11. | तलाक | तलाक संघर्ष अर्थ व विशेषताएं जातीय संघर्ष जातीय संघर्ष निवारण |
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