भीष्म साहनी जी की कहानियां भारत में अंग्रेजों द्वारा कराए गए दंगों से संबंधित हैं। यह सांप्रदायिक दंगे शहर से लेकर कस्बों और ग्रामीण तक पहुंच गए। अतः कथानक में अंग्रेजी डिप्टी कमिश्नर उसकी पत्नी लीजा, कांग्रेसी एवं लीगी, हिंदू-मुसलमान, सिख-ईसाई, शहरी-ग्रामीण, स्त्री-पुरुष आदि सभी वर्ग के पात्र सम्मिलित होने के कारण आलोचक कहानी की भाषा में भी विविधता है।
परंतु कहानी के तत्वों की दृष्टि से भाषा का प्रवाह अबाध गति से चलता है। भाषा में एक रास्ता आ जाती है। उर्दू अंग्रेजी हिंदी पंजाबी तथा मुहावरों का प्रयोग भाषा में सहायता प्रदान करता है। भाषा की दृष्टि से हिंदी की रक्षा का भी प्रयास सराहनीय है।