शिक्षा और कानून की तरह एक और संस्था का अवमूल्यन हुआ है और वह है राजनीति। राजनीति आज हिंसा भ्रष्टाचार और स्वार्थ सिद्धि का अड्डा बन गई है। इसे चलाने वाले राजनेता भाषण देने के अतिरिक्त जनता को कुछ नहीं देते और वोट लेने के साथ जनता के सभी अधिकारों को अपने हाथ में ले लेते हैं।
गांव के लोग इन नेताओं के भाषण को कैसे ग्रहण करते हैं। इसका एक उदाहरण प्रस्तुत है।“यह लेक्चर गंजों के लिए विशेष रूप से दिलचस्प थे, क्योंकि उनमें प्राया शुरू से ही वक्ता श्रोता को और श्रोता वक्ता को बेवकूफ मानकर चलता है।” जो कि बातचीत की दृष्टि से गंजों के लिए आदर्श परिस्थिति है, फिर भी लेक्चर इतने ज्यादा होते थे कि दिलचस्पी के बावजूद लोगों को अपच हो सकता था।
लेक्चर का मजा तो तब है कि सुनने वाला भी यह समझे कि वह बकवास कर रहा है। और बोलने वाले को भी यह समझे कि मैं बकवास कर रहा हूं। पर कुछ लेक्चर देने वाले इतनी गंभीरता से चलते हैं कि सुनने वाले को कभी कभी लगता था कि यह आदमी अपने कथन के प्रति सचमुच ही इमानदार है। (हिंदी कथा साहित्य)
ऐसा प्रतीत होते ही लेक्चर गाढ़ा और फीका बन जाता था और उसका असर श्रोताओं के हाथ में के बहुत खिलाफ पड़ता था।भारत की राजनीति भी भ्रष्ट हो गई है। इसमें किस प्रकार का भ्रष्टाचार भर गया है। इसका विश्लेषण भी लेखक ने सुंदरता पूर्वक किया है। राजनेताओं की स्थिति उनके भाषण देने की लालसा उनकी भाई भतीजावाद की प्रवृत्ति कुर्सी बचाने के षड्यंत्र करने की कला का जो विश्लेषण किया है।
वह यथार्थ पर आधारित है। आज के समाज में चारों और यह सब कुछ ले रहा है। जिसका चित्रण लेखक ने कर दिया है। उपन्यास में कथानक स्थिति और महत्व को दर्शाया गया है। राग दरबारी का राजनीतिक महत्व अद्वितीय है। जिसमें सारा कथानक उसी राजनीति से प्रेरित होकर आगे बढ़ता है।