कूलाम का नियम
भौतिक विज्ञान का एक नियम है जो स्थिर इलेक्ट्रिक चार्ज कणों के बीच लगता है।

इस नियम के अनुसार:-
“दो आवेशो के बीच लगने वाला बल उन दोनो आवेशो के मान के अनुक्रमानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युक्रमानुपाती होता है।”

जहां k अनुक्रमणपाती नियतांक है। जिसका मान


F का मात्रक न्यूटन होता है।
K का मान माध्यम पर निर्भर करता है

कूलॉम के नियम की सीमाएँ
- कूलाम्ब का नियम केवल बिंदु आवेशों के लिए ही सत्य है।
- यह नियम अधिक दूरी के लिए सत्य नहीं है।
वैद्युत क्षेत्र
यदि किसी स्थान पर स्थित किसी स्थिर आवेशित कण पर बल लगता है तो कहते हैं कि उस स्थान पर विद्युत्-क्षेत्र (electric field) है।

विद्युत क्षेत्र आवेशित कणों के द्वारा उत्पन्न होता है या समय के साथ परिवर्तित हो रहे चुम्बकीय क्षेत्र के कारण।
वैद्युत बल रेखाए
विद्युत बल रेखाएं विद्युत क्षेत्र में खींचा गया वह काल्पनिक चिकना वक्र (smooth curve) है, जिसके किसी भी बिंदु पर खींची गई स्पर्श रेखा, उस बिंदु पर विद्युत क्षेत्र का की दिशा प्रदर्शित करती है।
विद्युत बल रेखाओं के गुण
- विद्युत बल रेखाएं धन आवेश से उत्पन्न होती है और ऋण आवेश पर समाप्त हो जाती है।
- यह विद्युत बल रेखा के किसी भी बिंदु पर खींची गई स्पर्श रेखा उस बिंदु पर रखे धन आवेश पर लगने वाले बल अर्थात विद्युत क्षेत्र की दिशा प्रदर्शित करती है।
- ये विद्युत बल रेखाएं खींची प्रत्यास्थ डोरी की भांति लंबाई में सिकुड़ने की चेष्टा करती है। इसी कारण विजातीय आवेशो में आकर्षण होता है।
- विद्युत बल रेखाएं अपनी लंबाई की लंबवत दिशा में परस्पर दूर हटने की चेष्टा करती है। इसी कारण सजातीय आवेश प्रतिकर्षण होता है।
- आवेशित चालक से निकलने वाली बल रेखाएं, चालक के तल के लंबवत होती है। यह बल संवृती वक्र (closed curves) न होकर, खुले वक्र (open curves) होती है।
- किसी स्थान पर बल रेखाओं का दूर-दूर होना, विद्युत क्षेत्र का क्षीण होना प्रदर्शित करता है तथा बल रेखाओं का पास-पास होना, विद्युत क्षेत्र का तीव्र होना प्रदर्शित करता है।
- चूंकि किसी भी बिंदु पर विद्युत क्षेत्र की केवल एक ही दिशा हो सकती है, अतः प्रत्येक बिंदु पर से केवल एक ही बल रेखा गुजर सकती है। यही कारण है कि विद्युत बल रेखाएं परस्पर कभी नहीं काटती है। यदि दो बल रेखा काटती, तो कटान बिंदु पर दो स्पर्श रेखा खींची जा सकती है, जो उस बिंदु पर विद्युत क्षेत्र की दो दिशाएं प्रदर्शित करेगी, लेकिन यह असम्भव है।
- एकसमान विद्युत क्षेत्र में खींची गई विद्युत बल रेखाएं परस्पर समानांतर होती हैं।
विद्युत बल रेखाओं तथा चुम्बकीय बल रेखाओं में अंतर
विद्युत बल रेखाएं | चुम्बकीय बल रेखाएं |
ये खुले वक्र होती है। | यह बंद वक्र होती है। |
यह सदैव आवेशित पृष्ठ के लंबवत होती हैं। | इनका चुंबक की सतह के लंबवत होना आवश्यक नहीं है, यह किसी भी दिशा में हो सकती हैं। |
ये चालक के अंदर उपस्थित नहीं होती है। | यह चुंबक के अंदर भी उपस्थित रहती हैं। |
वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता
विद्युत क्षेत्र में किसी बिंदु पर रखे एकांक धन आवेश पर जितना बल लगता है उसे उस बिंदु की विद्युत क्षेत्र की तीव्रता कहते हैं, इसे E से प्रदर्शित करते हैं।
यदि विद्युत क्षेत्र में रखे एकांक धनावेश पर आवेश का मान q है और उस पर लगने वाला बल F है तब विद्युत क्षेत्र की तीव्रता
इसका मात्रक न्यूटन/कूलाम होता है।
वैद्युत द्विध्रुव
यदि दो आवेश जिनके बीच की दूरी बहुत कम है और दोनों पर विपरीत आवेश है और बराबर परिमाण है तो इस व्यवस्था या सिस्टम को विद्युत द्विध्रुव कहेंगे।
माना कि दो आवेश – q और +q रखे है इनके बीच की दूरी 2l है। जो बहुत कम है तब इसे विद्युत द्विध्रुव कहेंगे और इनके बीच की दूरी को द्विध्रुव की लंबाई कहेंगे।
दो बराबर परन्तु विपरीत प्रकार के बिन्दु आवेश एक-दूसरे से अल्प दूरी पर स्थित होते हैं। किसी एक आवेश तथा दोनो आवेशों के बीच की दूरी के गुणनफल को वैद्युत द्विध्रुव आघूर्ण'p' कहते हैं।
वैद्युत द्विध्रुव आघूर्ण, p = 2ql
वैद्युत द्विध्रुव का मात्रक कूलाम मीटर होता है।
उदाहरण – HCl ध्रुवी अणु है जिसमे एक H+ तथा दूसरा Cl– आयन परस्पर विद्युत आकर्षण बल से बंधे रहते है , दोनों आवेश के मध्य लगभग 10-11 m की दूरी होती है जो की अल्प है अतः यह एक विद्युत द्विध्रुव का निर्माण करते है।
वैद्युत बलयुग्म का आघूर्ण
विद्युत क्षेत्र E में रखे द्विध्रुव पर लगने वाला बलाघूर्ण τ= pE
बिंदु आवेश के कारण वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता
माना कि किसी बिंदु पर धन आवेश q+ रखा है और उस क्षेत्र का परावैद्युतांक K है और विद्युत आवेश से r मीटर की दूरी पर बिंदु P पर पर Q आवेश है जिस पर हमें हमें विद्युत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात करनी है
अब कूलाम के नियम अनुसार बिंदु P पर आवेश Q पर लग रहा विद्युत बल F
तब विद्युत क्षेत्र का तीव्रता
जिसका मात्रक न्यूटन/कूलाम होगा
मात्रक, विमाए व राशियों के प्रकार
राशि का नाम | सदिश/अदिश राशि | मात्रक | विमाए |
बल (F) | सदिश राशि | न्यूटन | [MLT-2] |
आवेश (q) | अदिश राशि | कूलाम | [AT] |
वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता (E) | सदिश राशि | न्यूटन प्रति कूलाम | [MLT-3A] |
वैद्युत द्विध्रुव का आघूर्ण (p) | सदिश राशि | कूलाम मीटर | [LAT] |
वैद्युत द्विध्रुव के बलयुगम का आघूर्ण (τ) |