हरबर्ट महोदय के अनुसार बालक अनुभव द्वारा ज्ञानार्जन करता है। यह अनुभव बालक को बाय जगत से संपर्क स्थापित करने से प्राप्त होते हैं। उसके द्वारा प्राप्त किया गया ज्ञान धीरे-धीरे संचित होता रहता है तथा इन्हीं अनुभवों से बालक के मन की रचना होती है। हरबर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि नवीन ज्ञान का बालक पूर्व ज्ञान से संबंध स्थापित कर दिया जाए।
तो बालक को सीखने में सुगमता रहती है। सीखने की परिस्थितियों में इकाइयों को तर्कपूर्ण ढंग से प्रस्तुत करना चाहिए। इसमें अध्यापक को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है, क्योंकि वह बालक को बाह्य जगत का अनुभव कराता है। बालक के यह अनुभव जितने क्रमबद्ध और तर्कसंगत होंगे, बालक के ज्ञान का स्तर भी उतना ही उच्च होगा। इसके लिए हरबर्ट ने पांच सोपान दिए। जिनको हरबर्ट की पंचपदी पाठ योजना कहते हैं।
वह इस प्रकार हैं –
1. तैयारी
2. प्रस्तुतीकरण
3. तुलना तथा संबंध स्थापित करना
4. सामान्यीकरण
5. प्रयोग या व्यवहारीकरण