परंतु वह अपनी निजता के आधार पर उन सब से अलग है। उसके विशिष्ट व्यक्तित्व का कुछ चारित्रिक विशेषताएं हैं। वह निष्काम प्रेमी है। हीरामन का हीराबाई के प्रति निष्काम प्रेम का भाव पूरी कहानी में व्याप्त हैै। वह एक सभ्य गाड़ीवान है। अपने बड़े भाई भाभी की वह बहुत इज्जत करता है। सरल व सहज होने के साथ-साथ वह संस्कारी भी हैै। हिंदी कथा साहित्य
पशुओं के प्रति व संवेदनशील है। जैसे हीरामन को जेल का डर नहींं। लेकिन उसके बैल ना जाने कितने दिनों तक बिना चारा पानी के सरकारी फाटक पर पड़े रहेंगे। भूखे प्यासे गवाही संस्कारों में पले बढ़े होने के कारण वह लज्जाशील व कर्मठ व्यक्ति भी है। रेणु जी द्वारा प्रयुक्त ध्वन्यात्मक शब्द इस इसकी इसी मनोवृति का सूचक हैै।